दीये जल उठे मेरे आंगन में /दीपावली मोटिवेशन
मैंने दीये खरीदे ही नही थे कि मैं जलाता लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मेरे आंगन मे दीप जगमगा रहा था?
"दीपावली का त्योहार सार्थक साबित हुआ"
हेलों दोस्तो!
सबको दीपावली की हार्दिक बधाई दिल से, इस दीपावली में मेरे जीवन में कुछ ऐसा हुआ कि मैं न चाह कर भी उन्हे ग्रीन सिग्नल देने से न रोक सकूं खूद को इस दीपावली में मुझे खुशी का अलग नजारा दिखाई दिया न बल्कि देखने को मिला बल्कि मुझे बेहद खुशी भी हुई।
कौन सा पल था ऐसा दीपावली में क्या होता है कि हम खुश होते हैं कौन सा पल होना चाहिये कि हमें खुशी मिले हम खुश महसूस करें "सच्ची मायने में दीपावली सार्थक सिध्द हुआ" अब मैं बता ही देता हूं कि वो कौन सा तत्थ या पल था जो दीपावली को सार्थक सिध्द करता है ।
वैसे तो दीपावली का त्यौहार "सत्य की बुराई पर जीत का प्रतीक" तथा "प्रकाश का अंधकार से विजय का प्रतीक" माना जाता है इसलिये यह भारत देश का सबसे बङा त्यौहार है जिसे न केवल हिन्दू लोग अपितु पूरे विश्व के अलग अलग जाती के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं ।
इस दीपावली में मेरे घर में न कोई स्त्री थी कि मेरे आंगन में दिये जलता, मेरी भाभी जी मायके गई है मेरी मां गांव गई है मैं जोब पर अपना समय दे देता और बङा भाई अपने कामों पर समय बिताते इस परिस्थिति में मेरे पास दिये खरीदने को तो पैसे की कमी नही थी लेकिन घर में दिये जलाने के लिये कोई स्त्री नही थी कि मेरे आंगन में दिये जलते आप सोच रहे होंगे दीये ही तो जलाने थे तुम ही जला लेते ।
ऐसा नही है मेरे दोस्तो मैं दीये जलाने के वक्त घर पर नही होता था क्योंकि मैं अपने जोब से रात दस बजे तक घर लौटता हूं इस वजह से मेरे घर पर कोई दीये जलाने वाला नही था लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मेरे आंगन मे दीप जगमगा रहा था और जल भी रहा था किसने जलाया था क्या हुआ इस दीपावली ।
मैं मेरे आंगन में दीये न जला पाने का अफसोस कर रहा था जब मैं जोब से रात को लौटता था तब दिये जलते दिखाई पङते थे दिपावली के दूसरे दिन मैं घर पर ही था छुट्टी पर था वो पल देखने का मौका था मैं अपने घर में अन्दर कुर्सी में बैठकर मोबाइल पर कुछ सर्च कर ही था कि दिये जलाने का समय हुआ मैंने दीये खरीदे ही नही थे कि मैं जलाता ।
मेरे घर के दरवाजे में पर्दा लगा हुआ था तभी मुझे कोई स्त्री मेरे बालकनी में दिये जलाते प्रतीत हुयी आखिर वो कौन थी किसने मेरे आंगन में दिये जलाये और मेरे इस दीपावली को सार्थक सिद्ध करती है ।
मैं ऐसे लोगों के विश्वास पर कायम रहना पसंद करता हूं जो मेरी भावना का कद्र करते हैं चाहे वो मेरा अपना हो या न हो मैं उन्हे अपना बना लेना जानता हूं जिसने मेरे आंगन में दीप जलाये वो कोई अजनबी नही थी वो हमारी #Quiene_mother अथवा #Mid_mother में से कोई एक थी जिसने इस दीपावली में मेरे आंगन में दीये जलाकर मुझे एक अनोखा विश्वास और प्रेम दिया मैं इस छोटे से पल से बेहद खुश हूं जिसने मुझे सराहा ।
दीप जलाकर आपने मेरे वजूद को कायम रखा है
"जब मैं सही समय पर सही काम करूँगा जिससे आप सब खुश करते हैं"
मेरे आंगन में दीप जलाकर मेरा अस्तित्व कायम रखा इसका इनाम मैं शुक्रिया कहकर नही आगे आने वाले समय पर मिल जायेगा जैसा आप चाहेंगे या कहेंगे टाला नही जायेगा आपकी बातों को सुना जायेगा ।
"दीपावली का त्योहार सार्थक साबित हुआ"
हेलों दोस्तो!
सबको दीपावली की हार्दिक बधाई दिल से, इस दीपावली में मेरे जीवन में कुछ ऐसा हुआ कि मैं न चाह कर भी उन्हे ग्रीन सिग्नल देने से न रोक सकूं खूद को इस दीपावली में मुझे खुशी का अलग नजारा दिखाई दिया न बल्कि देखने को मिला बल्कि मुझे बेहद खुशी भी हुई।
कौन सा पल था ऐसा दीपावली में क्या होता है कि हम खुश होते हैं कौन सा पल होना चाहिये कि हमें खुशी मिले हम खुश महसूस करें "सच्ची मायने में दीपावली सार्थक सिध्द हुआ" अब मैं बता ही देता हूं कि वो कौन सा तत्थ या पल था जो दीपावली को सार्थक सिध्द करता है ।
वैसे तो दीपावली का त्यौहार "सत्य की बुराई पर जीत का प्रतीक" तथा "प्रकाश का अंधकार से विजय का प्रतीक" माना जाता है इसलिये यह भारत देश का सबसे बङा त्यौहार है जिसे न केवल हिन्दू लोग अपितु पूरे विश्व के अलग अलग जाती के लोग इस त्यौहार को मनाते हैं ।
इस दीपावली में मेरे घर में न कोई स्त्री थी कि मेरे आंगन में दिये जलता, मेरी भाभी जी मायके गई है मेरी मां गांव गई है मैं जोब पर अपना समय दे देता और बङा भाई अपने कामों पर समय बिताते इस परिस्थिति में मेरे पास दिये खरीदने को तो पैसे की कमी नही थी लेकिन घर में दिये जलाने के लिये कोई स्त्री नही थी कि मेरे आंगन में दिये जलते आप सोच रहे होंगे दीये ही तो जलाने थे तुम ही जला लेते ।
ऐसा नही है मेरे दोस्तो मैं दीये जलाने के वक्त घर पर नही होता था क्योंकि मैं अपने जोब से रात दस बजे तक घर लौटता हूं इस वजह से मेरे घर पर कोई दीये जलाने वाला नही था लेकिन ऐसा क्या हुआ कि मेरे आंगन मे दीप जगमगा रहा था और जल भी रहा था किसने जलाया था क्या हुआ इस दीपावली ।
मैं मेरे आंगन में दीये न जला पाने का अफसोस कर रहा था जब मैं जोब से रात को लौटता था तब दिये जलते दिखाई पङते थे दिपावली के दूसरे दिन मैं घर पर ही था छुट्टी पर था वो पल देखने का मौका था मैं अपने घर में अन्दर कुर्सी में बैठकर मोबाइल पर कुछ सर्च कर ही था कि दिये जलाने का समय हुआ मैंने दीये खरीदे ही नही थे कि मैं जलाता ।
मेरे घर के दरवाजे में पर्दा लगा हुआ था तभी मुझे कोई स्त्री मेरे बालकनी में दिये जलाते प्रतीत हुयी आखिर वो कौन थी किसने मेरे आंगन में दिये जलाये और मेरे इस दीपावली को सार्थक सिद्ध करती है ।
मैं ऐसे लोगों के विश्वास पर कायम रहना पसंद करता हूं जो मेरी भावना का कद्र करते हैं चाहे वो मेरा अपना हो या न हो मैं उन्हे अपना बना लेना जानता हूं जिसने मेरे आंगन में दीप जलाये वो कोई अजनबी नही थी वो हमारी #Quiene_mother अथवा #Mid_mother में से कोई एक थी जिसने इस दीपावली में मेरे आंगन में दीये जलाकर मुझे एक अनोखा विश्वास और प्रेम दिया मैं इस छोटे से पल से बेहद खुश हूं जिसने मुझे सराहा ।
दीप जलाकर आपने मेरे वजूद को कायम रखा है
"जब मैं सही समय पर सही काम करूँगा जिससे आप सब खुश करते हैं"
मेरे आंगन में दीप जलाकर मेरा अस्तित्व कायम रखा इसका इनाम मैं शुक्रिया कहकर नही आगे आने वाले समय पर मिल जायेगा जैसा आप चाहेंगे या कहेंगे टाला नही जायेगा आपकी बातों को सुना जायेगा ।
_PrasanjeeT LakrA_
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